Discover the  MINA / Meena community hostory, one of India's oldest tribes, and explore their fascinating traditions, customs, and notable contributions to society throughout history OF INDIA.

Discover the  MINA / Meena HISTORY , one of India’s oldest tribes, and explore their fascinating traditions, customs, and notable contributions to society throughout historyOF INDIA.

मीन-मीना-मीना-मैना क्षत्रिय जनजाति के उत्थान, उत्थान, ह्रास और बिखराव का कालखंड असाधारण रूप से लम्बा रहा है, किन्तु वैदिक, पौराणिक और विद्वत्तापूर्ण स्रोतों से अलग प्रामाणिक स्रोतों का मिलना युगों से एक अनसुलझी पहेली रही है ! मध्यकालीन प्रचलित वीरतापूर्ण काव्यों में विशेषकर ‘पृथ्वीराज रासो’ और ‘हमीर रासो’ दो प्रमुख प्रमाणिक काव्य हैं ! इन दोनों काव्यों के अनेक वृत्तांतित लेख मीना जनजाति शाखाओं के योद्धाओं की वीरता, पराक्रम और समर्पण को प्रतिष्ठित करते हैं ! इन प्रमाणिक दृश्यों और सत्य लेखों में, राजसी राज्यों में पले-बढ़े और अपने हितैषियों के अनुरूप रचना करने वाले इतिहास विशेषज्ञों और दरबारी लेखकों के प्रामाणिक लेखों में और उनके द्वारा रचित काव्यों आदि में मीना-मीना-मैना-मैना जनजाति का क्षत्रियत्व और इतिहास जाति अभिलेखों, जागा बही-पोथी के पन्नों में सीमित और खोखला महसूस होता है !

मीना – मीन – मत्स्य व नाग प्रजाति की मीना – मीणा मैना मीणा शाखायें विभिन्न काल – समयान्तरो तथा विभिन्न देश देशान्तरों में, भिन्न – भिन्न शब्द संज्ञाओ से अभिहित रही हे! कालान्तर में मीना – मीन अर्थात ‘मत्स्य’ व ‘नाग’ प्रजाति शाखाएं

मत्स्य, मीणा, मीना , मैना, मैणा, मेन, मेहना, मियाॅंणा, भाया, भयात् , मेर , मेहर, मेरोट, मारण , मारन,मेद, मेंड,मांड, मेव आदि शब्द संज्ञाओ से अभिहित रही हे!

मीना – मीन – मत्स्य व नाग प्रजाति की मीना – मीणा – मेना मैना जनजाति की प्रमुख पहचान ‘मीन’ अर्थात ‘मत्स्य’ यानी ‘मछली’ व ‘नाग’ प्रतीक चिह्न युक्त ‘मुद्रा’ व ‘ध्वजा’ अर्थात ‘पताका’ धारण करना एवं धर्म में ‘नाग’ ओर ‘‘जानवरों’ से घिरे नन्दी – देव ‘रूद्र’ अर्थात ‘शिव’ अर्थात महादेव की उपासना करने वाले उपासकों के रूप में की जाती रही है! धार्मिक मर्यादा मापों में भी मीना – मीणा – मेना – मैना जनजाति ‘मीन’ , ‘मीनानाथ’ अर्थात ‘शिव’ ( महादेव ) की आराधनाओ में लीन तथा ‘शिव’ व ‘मीनभगवान्’ की उपासना करने वाली प्राचीन जनजातियों में से एक जनजाति है! जिसमें मीणा व मीना शब्द संज्ञा में भी काल्पनिक दीवार रची गई है मीणा इतिहास पर श्री रावत सारस्वतजी की अवधारणाएं निम्नानुसार है मीना – मैना – मीणा – मैणा आदि नामो से सुप्रसिद्ध मीणा जाति का

पौराणिक रामायण महाभारत। अतीत से लेकर बारहवीं शताब्दी तक इस धरती पर मूल निवासी मीनाओं का शाही राज था। प्रकृति की पूजा करने के साथ-साथ राजा शिव और शक्ति के भी उपासक थे। आज भी अगर हम मीना राजाओं द्वारा निर्मित आमेर जयपुर के आसपास के क्षेत्र के साथ-साथ सम्पूर्ण राजस्थान की बात करें तो 1500 से 2000 वर्ष पुराने शिव मंदिर आज भी मौजूद हैं और प्राचीन काल में इस क्षेत्र को मत्स्य प्रदेश यानि मीना वंश यानि मीना क्षत्रियों का देश कहा जाता था। सोचिए, कहां गया मीनाओं का हजारों वर्षों का वो गौरवशाली इतिहास, वो तो दसवीं शताब्दी में यहां आए थे। बाहरी आक्रमणकारियों ने छल से भोले-भाले मीना आदिवासी राजाओं को मार डाला और चित्तौड़, आमेर, अलवर, दौसा, करौली, रणथंभौर, कोटा, बूंदी के साथ-साथ अजमेर, मारवाड़, बांसवाड़ा, कुंभलगढ़ सहित सम्पूर्ण राजस्थान यानि मत्स्य प्रदेश पर कब्जा कर लिया और पूर्ववर्ती मीना शासकों और राजाओं की अमूल्य ऐतिहासिक निशानियों को मिटा दिया या उन्हें अपना बना लिया। राजस्थान के इतिहास को लिखने में कई गलतियां हुई हैं। उन्हें सुधारने का समय आ गया है, इसलिए इस गौरवशाली इतिहास को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना न भूलें। इतिहास में राजस्थान के राजपूत राजाओं और मुगल राजाओं का पांच से सात सौ साल पुराना इतिहास ही पढ़ाया जाता है, जबकि जब महिलाओं के इतिहास की बात की जाती है तो ज्यादातर इतिहास को छुपा दिया गया है क्योंकि कहीं न कहीं मध्य प्रदेश सहित राजस्थान के विशाल भूभाग पर प्रारंभिक शासक मीना ही थे और अगर उन्हें अपनी बहादुरी का इतिहास अगली पीढ़ी तक पहुंचने का पता होता तो वे आसानी से अपना इतिहास दोहराने में सफल हो जाते। यही कारण है कि उनका इतिहास छुपा दिया गया और राजस्थान में मीना क्षत्रिय शासक वर्ग रहे हैं। राजस्थान के असली वारिस यहां के मूल निवासी मीना समुदाय ही हैं। किसी अन्य समुदाय में नहीं क्योंकि जब हम अन्य समुदायों की बात करते हैं तो उन्होंने ज्यादातर फूट डालो राज करो और अंग्रेजी राष्ट्र की तरह काम किया है, कुछ दूसरे राज्यों में भी चले गए हैं। यही कारण है कि मीना जाति, फिर भी उनमें कई ऐसी श्रेणियां हैं जिनमें आज तक एकता बनी हुई है। मीना समुदाय 32 जातियों और 5200 गोत्रों का है। आज भी वे 1.5 करोड़ की आबादी के साथ राजस्थान में सबसे बड़े हैं। आज भी हम उनके इतिहास को उजागर कर सकते हैं लेकिन अटूट धैर्य, सम्मान, वीरता और संकल्प को पूरा करना मीनाओं का जन्मजात गुण रहा है, जो कभी नहीं बदल सकता क्योंकि सत्य के मार्ग पर चलते हुए चाहे कितना भी संघर्ष करना पड़े अंतत: परिणाम सत्य की जीत ही होती है। जो जाति अपना इतिहास भूल जाती है वह बिना जड़ वाले वृक्ष के समान है। इसलिए आपको अपनी जाति का संपूर्ण इतिहास जानना बहुत जरूरी है। मत्स्य राजा विराट से लेकर मीना राजा मोरध्वज तक श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सच्चे भक्त का परिचय दिया था। यह स्थान कहां है? दोसलाल सोठ के पास मोरागढ़ में राजा मोरध्वज के 2800 साल बाद इसी वंश में 300 साल पहले मीना राजा मोरध्वज की 43वीं पीढ़ी में महान सम्राट अशोक का जन्म हुआ था। मोरागढ़ की इसी धरती से महान चाणक्य यहां के मीना राजा के पुत्र अशोक को पाटलिपुत्र, पटना ले गए थे 2600 वर्ष पूर्व 600 ईसा पूर्व जैन बौद्ध काल में यहां के कई मीना राजाओं ने जैन बौद्ध धर्म अपना लिया था। इस क्षेत्र के मीना लोगों ने जैन धर्म स्वीकार कर लिया और व्यापार करने लगे। अलवर का मीना सती नारायणी माता धाम भी मीना समाज का प्रसिद्ध तीर्थ है। वह नया मीना गोत्र के मीना राजा की पुत्री थी जो जन आस्था का केंद्र भी बना हुआ है। बस्ती की बात करें तो बस्ती जयपुर नैना धाम भी जन आस्था का केंद्र है। यह अंतिम मीना राजा बागा राव गौत्रक गुमलादू द्वारा बनवाया गया शिव मंदिर है। 16वीं शताब्दी में अकबर और राजस्थान के सभी राजपूतों ने अपनी बेटियों का विवाह मुसलमानों से किया और वही वैवाहिक संबंध स्थापित कर उन्हें संयुक्त रूप से पराजित किया। यहां के मीना राजा आगरा जयपुर सहित मेवाड़ के शासकों से रिश्वत लेते थे अमीन खोगांग मार्च कस्बे पर 1000 से 1200 साल तक मीना राजाओं ने राज किया। मार्च

मत्स्यप्रदेश 🚩 ( वर्तमान अलवर, भरतपुर व जयपुर का क्षेत्र )
मीनदेश🚩 ( वर्तमान पाकिस्तान )
मीणाराज🚩 ( पुरा भारतदे) MEENA HOSTORY

MEENA SAMAJ
PUKHRAJ JORWAL

सभी मीणा समाज के भाइयो बहनो से अनुरोध है की इस वेब साईट को एक सफल वेब साईट बनाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी update करे

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Name
आप का पता
Click or drag a file to this area to upload.
Scroll to Top